Bharat Ratna Award: भारत रत्न हमारे देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है, जो महान विभूतियों को दिया जाता है. क्या आप जानते हैं कि देश में सबसे पहले भारत रत्न किसे दिया गया था? आज हम जानेंगे कि इसे देने की शुरुआत कब हुई और किसने थी.
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Who started Bharat Ratna: 'भारत रत्न' इंडिया का हाईएस्ट सिविलियन ऑनर है. यह सम्मान भारत के उन महान व्यक्तियों को दिया जाता है, जिन्होंने अपने कार्यों और योगदान से देश को गौरवान्वित किया. भारत रत्न की शुरुआत 1954 में हुई थी और यह सम्मान किसी भी क्षेत्र में असाधारण सेवाओं के लिए दिया जाता है. यह अवॉर्ड इंडियन सोसाइटी में हाईएस्ट लेवल की पहचान और ऑनर का सिंबल है.
कैसे हुई भारत रत्न की शुरुआत?
भारत रत्न देने की परंपरा की शुरुआत देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद के नेतृत्व में की गई थी. 1954 में इसे पहली बार देने का निर्णय लिया गया. उस समय यह सम्मान केवल जीवित विभूतियों को दिया जाता था. हालांकि, बाद में इसे मरणोपरांत भी दिए जाने का प्रावधान जोड़ा गया. हर साल अधिकतम तीन शख्सियतों को ही यह सम्मान दिया जा सकता है.
किसे मिला था पहला भारत रत्न?
पहला भारत रत्न देश के तीन महान व्यक्तियों को एक साथ दिया गया. इसमें देश के पहले गवर्नर जनरल चक्रवर्ती राजगोपालाचारी, महान शिक्षाविद और पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन और महान वैज्ञानिक डॉ. चंद्रशेखर वेंकटरमन का नाम शामिल हैं. इन तीनों ने अपने-अपने क्षेत्रों में अभूतपूर्व योगदान दिया था.
भारत रत्न के चयन प्रक्रिया
भारत रत्न के लिए नामों की सिफारिश प्रधानमंत्री द्वारा की जाती है. इन नामों को राष्ट्रपति के पास भेजा जाता है, जो फाइनल डिसीजन लेते हैं. एक बार सिलेक्शन होने के बाद राष्ट्रपति के द्वारा पुरस्कार विजेताओं की घोषणा की जाती है. इस सम्मान में एक सर्टिफिकेट (सनद) और एक विशेष डिजाइन का पदक दिया जाता है. इसमें कोई नकद राशि शामिल नहीं होता.
भारत रत्न पदक का डिजाइन
भारत रत्न का पदक पीपल के पत्ते के आकार का होता है. यह शुद्ध तांबे का बना होता है और इसके ऊपर प्लेटिनम का चमकता हुआ सूर्य उकेरा गया होता है. इसके निचले हिस्से में हिंदी में 'भारत रत्न' लिखा होता है. मेडल के पीछे अशोक स्तंभ और उसके नीचे 'सत्यमेव जयते' लिखा होता है. इस पदक को कोलकाता टकसाल में तैयार किया जाता है.
भारत रत्न का महत्व
यह सम्मान न केवल भारत में, बल्कि इंटरनेशनल लेवल पर भी भारत की महान शख्सियतों के योगदान को मान्यता देता है. यह देश के सर्वोच्च सम्मान के रूप में न केवल उनके कार्यों को सराहता है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित भी करता है.